Diwali 2024: क्या होते हैं ग्रीन पटाखे, सामान्य पटाखों से ये कितना अलग हैं! आखिर क्यों बढ़ रही है इनकी डिमांड?
जब देशभर में पटाखे जलाए जाते हैं तो इससे भारी मात्रा में प्रदूषण होता है. ऐसे में लोगों के बीच ग्रीन पटाखों की डिमांड बढ़ी है. आइए जानते हैं कि क्या होते हैं ग्रीन पटाखे, ये सामान्य पटाखों से कितना अलग हैं? कैसे करें असली ग्रीन पटाखों की पहचान.
What is Green Crackers: दिवाली से पहले ही प्रदूषण अपना असर दिखाने लगा है. दिल्ली-एनसीआर में AQI खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिसके चलते आज से GRAP-2 लागू कर दिया गया है. हालातों को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में पटाखे जलाने पर बैन लगा दिया गया है. वहीं तमाम शहरों में निश्चित समय तक ही पटाखे जलाने की परमीशन दी गई है या फिर सिर्फ ग्रीन पटाखे (Green Crackers) को जलाने की इजाजत है. इसका कारण है कि दिवाली के मौके पर जब देशभर में पटाखे जलाए जाते हैं तो इससे भारी मात्रा में प्रदूषण होता है. ऐसे में लोगों के बीच ग्रीन पटाखों की डिमांड बढ़ी है. आइए जानते हैं कि क्या होते हैं ग्रीन पटाखे, ये सामान्य पटाखों से कितना अलग हैं? कैसे करें असली ग्रीन पटाखों की पहचान.
ग्रीन पटाखे क्या हैं और सामान्य पटाखों से कितना अलग हैं?
नॉर्मल पटाखों में बारूद और अन्य ज्वलनशील रसायन होते हैं जो जलाने पर फट जाते हैं और भारी मात्रा में प्रदूषण फैलाते हैं. जबकि Green Crackers इको-फ्रेंडली होते हैं. प्रदूषण को कंट्रोल करने के मकसद से राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (CSIR-NEERI) ने इसकी खोज की. ग्रीन पटाखे देखने में सामान्य पटाखों जैसे ही होते हैं. बस साइज में थोड़े छोटे होते हैं और कम आवाज करते हैं. ग्रीन पटाखे फटने के बाद आसपास की धूल को सोख लेते हैं जबकि सिंथेटिक पटाखे ठीक इसके उल्टा काम करते हैं.
क्या ग्रीन पटाखों से प्रदूषण नहीं होता?
ऐसा नहीं है कि ग्रीन पटाखों से बिल्कुल प्रदूषण नहीं होता है. प्रदूषण तो इनसे भी होता है, लेकिन सामान्य पटाखों की तुलना में ये काफी कम प्रदूषण फैलाते हैं. ग्रीन पटाखे बनाने में डस्ट रिप्रेसेंट मिलाया जाता है, जिससे हवा में कम प्रदूषण फैलता है. एल्युमिनियम, पोटैशियम नाइट्रेट और कार्बन जैसे हानिकारक रसायन इसमें या तो बहुत कम होते हैं या नहीं होते हैं. ग्रीन पटाखों से अधिकतम 110 से 125 डेसिबल तक का ही ध्वनि प्रदूषण होता है वहीं, नॉर्मल पटाखों से 160 डेसिबल तक ध्वनि प्रदूषण होता है.
तीन कैटेगरी में बिकते हैं ग्रीन पटाखे
TRENDING NOW
Pharma सेक्टर के स्मॉलकैप स्टॉक में तुरंत कर लें खरीदारी; मिलेगा मोटा रिटर्न! एक्सपर्ट ने दिया ये टारगेट
कमजोर बाजार में खरीद लें जीरो डेट कंपनी वाला स्टॉक! करेक्शन के बाद बन सकता है पैसा, छुएगा ₹930 का लेवल
Stock Market Closed on 15th November: BSE, NSE पर शुक्रवार को नहीं होगी ट्रेडिंग, चेक कर लें छुट्टियों की लिस्ट
ग्रीन पटाखों की तीन कैटेगरी हैं, जो इसके डिब्बे पर लिखी होती हैं, वो हैं SWAS, SAFAL और STAR. इसमें से SWAS कैटेगरी का पटाखा फूटने पर पानी की बहुत ही छोटी-छोटी बूंदे निकलती हैं. ये पटाखे फूटने के बाद धूल को सोखते हैं. SAFAL कैटेगरी वाले पटाखे में एल्युमिनियम की सुरक्षित मात्रा डाली जाती है, जो सिंथेटिक पटाखों की तुलना में कम आवाज करती है. वहीं STAR कैटेगरी के पटाखे में पोटैशियम नाइट्रेट या सल्फर नहीं होते. यह पटाखा फूटने के बाद अधिक धुआं नहीं निकलता और न ही किसी अन्य तरह कण उससे बाहर आते हैं.
कैसे करें ग्रीन पटाखों की पहचान
इस दिवाली अगर आप भी ग्रीन पटाखे खरीदने वाले हैं तो इन्हें किसी लाइसेंस प्राप्त दुकान से ही खरीदें. पटाखे असली हैं या नहीं, ये पहचान करने के लिए आप ग्रीन पटाखों के बॉक्स पर बने क्यूआर कोड को NEERI नाम के एप से स्कैन कर सकते हैं.
11:39 AM IST